Management Career and Astrology

प्रबंधन कॅरियर और ज्योतिष

प्रबंधन अर्थात् ‘मैनेजमेंट’, वर्तमान समय में आजीविका का व्यापक क्षेत्र बन गया है| आज से लगभग 20 वर्ष पूर्व प्रबंधन क्षेत्र में जाने के लिए अनुभव ही एक मात्र योग्यता हुआ करती थी, परन्तु जब से भारत में उदारीकरण एवं निजीकरण का दौर प्रारंभ हुआ, तब से ही प्रबंधन कला को सिखाने के लिए पृथक् से शिक्षा की व्यवस्था हो गई है| वर्तमान में प्रबंधन क्षेत्र में एम.बी.ए. की स्नातकोत्तर उपाधि प्रदान की जाती है| युवाओं के मध्य प्रबंधन सबसे लोकप्रिय कॅरियर बन चुका है| बहुराष्ट्रीय कम्पनियों में प्रबंधक बनने के लिए अनुभव के अतिरिक्त एम.बी.ए. की डिग्री भी आवश्यक होती है| आज किसी भी संकाय का विद्यार्थी अपने कॅरियर के चयन में प्रथम तीन स्थानों में से एक स्थान पर एम.बी.ए. को अवश्य रखता है| इसका प्रमुख कारण यह है कि जितना पैसा आज इस कार्यक्षेत्र में है, शायद ही अन्य क्षेत्रों में हो|
एम.बी.ए. की डिग्री दिलवाने के लिए माता-पिता अपने बच्चों पर लाखों रुपए खर्च कर देते हैं और कई तो अपने बच्चों को विदेश से भी यह डिग्री दिलवाते हैं| कई डॉक्टर, इंजीनियर, आई.ए.एस. अधिकारी भी एम.बी.ए. की डिग्री लेकर उच्च वेतन प्राप्ति के लिए अपना पिछला कॅरियर छोड़ देते हैं, अत: ज्योतिष विषय में भी इससे संबंधित ग्रहयोगों की जानकारी आवश्यक हो गई है| अक्सर अपने कॅरियर को लेकर युवावर्ग काफी असमंजस में रहता है| इस कारण वे ज्योतिर्विद् के पास जाकर अपने लिए उपयुक्त कॅरियर के बारे में पूछते हैं, अत: एक कुशल ज्योतिषी को जन्मपत्री में प्रबंधन क्षेत्र में जाने के योगों की जानकारी अवश्य होनी चाहिए|

आइए, देखते हैं कि कौन सफल होते हैं, प्रबंधन क्षेत्र में :
एम.बी.ए. में मुख्य विषय प्रबन्धन के अतिरिक्त वित्त कॉमर्स, गणित तथा अंग्रेजी होते हैं| जहॉं बुध को प्रबन्धन, वित्त, कॉमर्स तथा गणित विषय का कारक माना जाता है, वहीं भाषा ज्ञान पंचम भाव से देखा जाता है| फिर भी प्रबंधक बनने की क्षमता, तो मंगल ही प्रदान करेगा| किसी भी बहुराष्ट्रीय कम्पनी का प्रबंधक उसका सेनापति ही होता है| इस उदारीकरण के युग में जहॉं हर कम्पनी अपने लाभ के लिए संघर्षरत है, वहॉं प्रबंधक ही अपने बुद्धिकौशल से उस कम्पनी को सर्वश्रेष्ठ बनाता है| जहॉं कुण्डली में विश्‍वविद्यालय या किसी संस्थान से प्राप्त डिग्रियॉं चतुर्थ भाव से देखी जाती हैं तथा उन डिग्रियों का प्रतिफल द्वितीय भाव से देखा जाता है, वहीं बुद्धि का विचार पंचम से किया जाता है, अत: पंचमेश, बुध, मंगल तथा राहु का द्वितीय, चतुर्थ, पंचम, दशम तथा एकादश भाव से संबंध होने पर जातक एक कुशल प्रबंधक बन सकता है|
यदि जातक की कुण्डली में पंचमेश, चतुर्थेश एवं द्वितीयेश निर्बल हो, तो वह एम.बी.ए. या कोई अन्य डिग्री प्राप्त नहीं कर पाता है, लेकिन सप्तमेश, कर्मेश एवं लाभेश बली हों तथा मंगल, बुध एवं राहु के साथ श्रेष्ठ संबंध बनाते हों, तो जातक श्रेष्ठ प्रबंधक बनकर धनार्जन कर सकता है|
यदि जातक की जन्मपत्री में पंचमेश तथा चतुर्थेश बली होकर परस्पर संबंध बनाते हों| साथ ही द्वितीयेश मंगल से युति करता हुआ द्वितीय, चतुर्थ, दशम या एकादश भाव में स्थित हो, तो जातक अच्छे शिक्षण संस्थान से डिग्री प्राप्त कर एक कुशल प्रबंधक बनता है|
चतुर्थेश, मंगल तथा एकादशेश की युति द्वितीय, चतुर्थ, या एकादश भाव में हो, तो जातक कुशल प्रबंधक होता है|
मंगल, बुध, राहु की युति अष्टम, चतुर्थ, पंचम या कर्म भाव में हो तथा पंचमेश बली हो, तो जातक एम.बी.ए. या अन्य कोई प्रबंधन डिग्री प्राप्त करता है|
चतुर्थेश मंगल से युति करे तथा बुध-राहु में परस्पर संबंध हो, साथ ही पंचमेश एवं द्वितीयेश भी बली हों, तो जातक एम.बी.ए. की शिक्षा प्राप्त कर धनार्जन करता है|
आजकल प्रबन्धन के पाठ्यक्रम भी अलग-अलग हो गए हैं| मार्केटिंग, फाइनेंस, एच.आर.डी, होटल मेनेजमेंट, अस्पताल प्रबन्धन आदि विषयों में प्रबन्धन की डिग्री एवं डिप्लोमा होते हैं| जिस जातक की कुण्डली में मंगल के साथ-साथ बुध और शनि भी बली होकर पंचम, चतुर्थ या एकादश भाव में स्थित हों, तो वह जातक मानव संसाधन विकास (एच.आर.डी.) विषय से एम.बी.ए. करता है|
उपर्युक्त स्थिति में मंगल के साथ यदि राहु एवं बुध बली हों, तो वह मार्केटिंग में एम.बी.ए. करता है|
मंगल सूर्य से युति करता हुआ चतुर्थ, पंचम या कर्म भाव में हो तथा पंचमेश बुध एवं राहु से संबंध बनाता हो, तो जातक फाइनेंस में एम.बी.ए. करता है|
पंचमेश तथा चतुर्थेश निर्बल हों, लेकिन सप्तमेश, कर्मेश एवं एकादशेश बली हों तथा इन्हीं भावों में मंगल, राहु और बुध स्थित हों और इनकी पंचम और द्वितीय पर दृष्टि हो, तो जातक एम.बी.ए. की डिग्री भले ही प्राप्त न कर पाए, किन्तु कुशल प्रबंधक होकर आजीविका का निर्वाह करता है|
उदाहरण 1 :
गरिमा
जन्म दिनांक : 8 सितम्बर, 1984
जन्म समय : 10:20 बजे
जन्म स्थान : जयपुर
लग्न कुण्डली

   

नवांश कुण्डली

उपर्युक्त जातिका वर्तमान में एक उच्च संस्थान से एम.बी.ए. की पढ़ाई कर रही है| इनकी कुण्डली में शनि चतुर्थेश एवं पंचमेश होकर लग्न में अपनी उच्च राशि में स्थित होकर ‘शश’ नामक पंचमहापुरुष योग बना रहा है| लग्नकुण्डली के एकादश भाव में बली बुधादित्य योग बन रहा है| द्वितीयेश मंगल स्वगृही होकर केतु से युति करने के कारण चौगुना बली हो गया है| राहु अष्टम भाव में अपनी उच्च राशि में स्थित होकर द्वितीयेश मंगल से परस्पर दृष्टि संबंध बना रहा है|
उपर्युक्त चारों योगों के कारण गरिमा का प्रथम प्रयास में ही ‘केट’ के जरिए एक उच्च प्रबन्धन संस्थान में प्रवेश हुआ, जहॉं वर्तमान में ये अध्ययनरत हैं| 
उदाहरण 2 :
अनुपम पारीक
जन्म दिनांक : 25 दिस., 1980
जन्म समय : 04:15 बजे
जन्म स्थान : जहाजपुर
लग्न कुण्डली


नवांश कुण्डली


अनुपम पारीक ने उच्च प्रबन्धन संस्थान से मानव संसाधन विकास (एच.आर.डी.) विषय में स्नातकोत्तर उपाधि ग्रहण की है| वर्तमान में ये एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी में मैनेजर पद पर आसीन हैं| इनकी जन्मपत्रिका में प्रबंधक बनने के निम्नलिखित योग बनते हैं :
1. मंगल चतुर्थ भाव में उच्च राशिस्थ होकर ‘रुचक’ नामक पंचमहापुरुष योग बना रहा है, साथ ही केतु से उसकी युति के कारण मंगल का बल चौगुना हो गया है|
2. चतुर्थेश-पंचमेश शनि की द्वादश भाव में गुरु से युति हो रही है| इस युति के प्रभाव ने ही जातक को प्रबंधन के क्षेत्र में ‘मानव संसाधन विकास’ विषय में सफलता प्राप्त करवायी|
3. जातक की लग्न कुण्डली के पराक्रम भाव में बली ‘बुधादित्य योग’ बन रहा है|
4. चन्द्र-राहु यदि कर्क राशि में स्थित होकर कर्म भाव में हों, तो वह जातक को अपने कार्यक्षेत्र में अपार सफलता प्राप्त करवाते हैं| यह ज्योतिष का एक अकाट्‌य सूत्र है| उक्त जातक के कर्म भाव में कर्कराशिस्थ चन्द्र-राहु की युति हो रही है|
उदाहरण 3 :
एक जातिका
जन्म दिनांक : 20 जुलाई, 1983
जन्म समय : 20:21 बजे
जन्म स्थान : इटावा

यह जन्मपत्री एक जातिका की हैं, जो एम.बी.ए. की उपाधि प्राप्त कर चुकी है तथा वर्तमान में एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी में कार्यरत है| आइए, जानते हैं किन योगों ने इन्हें प्रबंधन क्षेत्र में सफल बनाया :
1. लग्नेश-द्वितीयेश शनि कर्मभाव में स्थित होकर ‘शश’ नामक पंचमहापुरुष योग बना रहा है|
2. चन्द्र-गुरु एकादश भाव में स्थित होकर ‘गजकेसरीयोग’ बना रहे हैं तथा दोनों ही ग्रहों की पंचम भाव पर पूर्ण दृष्टि है|
3. षष्ठ भाव में मंगल-राहु की युति बन रही है एवं राहु भाग्येश होकर उच्च राशि में स्थित है|
4. सप्तम भाव में ‘बुधादित्य योग’ बन रहा है|
5. चतुर्थेश-लाभेश मंगल नवांश कुण्डली में कर्मभाव में स्वराशि में स्थित होकर केतु के साथ युति कर रहा है, अत: इस जातिका को विवाह के  बाद अपेक्षाकृत अधिक सफलता प्राप्त हुई|
उदाहरण 4 :
एक जातक
जन्म दिनांक : 13 जुलाई, 1961
जन्म समय : 22:25 बजे
जन्म स्थान : दिल्ली
यह कुण्डली ऐसे जातक की है, जिसे एम.बी.ए. की उपाधि प्राप्त नहीं है, फिर भी एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी में मैनेजर पद पर कार्यरत है| इनकी कुण्डली में प्रबंधक बनने के योग निम्नलिखित हैं :

1. कुंभ लग्न का योगकारक ग्रह शुक्र चतुर्थ भाव में स्वराशिस्थ होकर ‘मालव्य’ नामक पंचमहापुरुष योग बना रहा है|
2. सप्तम भाव में राहु-मंगल की युति हो रही है तथा नवांश कुण्डली में भी मंगल वर्गोत्तमी होकर चतुर्थ भाव में स्थित है एवं राहु शुक्र के साथ युति कर रहा है|
3. कुण्डली के पंचम भाव में बुध अपनी स्वराशि में स्थित होकर सूर्य से युति करके बली ‘बुधादित्य योग’ का निर्माण कर रहा है|
4. लाभेश तथा धनेश गुरु द्वादश भाव में नीच राशिस्थ होकर शनि के साथ युति कर रहा है, अत: जैसे ही इस जातक को गुरु का रत्न धारण करवाया गया, तो इन्हें अप्रत्याशित सफलता प्राप्त हुई|
आधुनिक युग में कॅरियर के अनेक क्षेत्रों और अवसरों का ज्योतिषीय सिद्धान्तों के आधार पर निर्धारण करना तभी सत्य होता है, जब हम कुण्डली पर समग्र दृष्टि से विचार करें अर्थात् लग्न, पंचम, दशम और एकादश भाव, उनमें स्थित ग्रह, उनके स्वामी ग्रह, अन्य भावेशों और ग्रहों से उनका सम्बन्ध आदि पर विचार करें| •

 

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