कैसा रहेगा मेष राशि वालों के लिए मिथुन का गुरु?

कैसा रहेगा मेष राशि वालों के लिए मिथुन का गुरु?

मेष राशि वालों के लिए गुरु का मिथुन राशि में गोचर उनकी राशि से तृतीय भाव में रहेगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार तृतीय भाव में गुरु का गोचर बहुत अधिक शुभ फलदायक नहीं माना जाता। इस अवधि में अन्य प्रमुख ग्रहों की स्थिति भी बहुत अनुकूल नहीं है। इसलिए इस गोचरावधि में  मेष राशि के लोगों को सावधानी रखना अपेक्षित है। एक ओर ताे गुरु का गोचर अनुकूल नहीं है, वहीं दूसरी ओर शनि की साढेसाती आरंभ हो चुकी है। यह अवश्य है कि राहु का गोचर 29 मई से एकादश भावस्थ होने से कुछ राहत का अनुभव भी होगा।
अष्टम से अष्टम भाव तृतीय में गुरु का गोचर कार्यों में अवरोध एवं अपेक्षित सफलता प्राप्ति में बाधक होता है। भाग्य का अपेक्षित समर्थन नहीं मिल पाता, तो वहीं परिजनों, मित्रों, रिश्तेदारों एवं अन्य लोगों का अपेक्षित सहयोग भी प्राप्त नहीं होता। तृतीय भावस्थ गुरु की सप्तम, नवम एवं एकादश भाव पर पूर्ण दृष्टि होती है। सप्तम भाव पर दृष्टि के फलस्वरूप जातक का वैवाहिक जीवन सुखमय नहीं रह पाता और अनावश्यक तनाव, चिंताएँ एवं परेशानियाँ उठानी पड़ती हैं। नवम भाव पर दृष्टि के चलते एक ओर जहाँ माता-पिता से सम्बन्धित समस्याएँ उत्पन्न होती हैं, तो वहीं दूसरी ओर धर्म एवं भक्ति के प्रति अनास्था भी उत्पन्न हो जाती है। तृतीय भावस्थ गुरु की आय भाव पर दृष्टि से आय सीमित होती है और खर्चों में वृद्धि होने से घरेलू अर्थव्यवस्था प्रभावित होती है। 
स्वास्थ्य : सेहत के मामले में यह समय अच्छा नहीं कहा जा सकता। इस समयावधि में स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएँ बढ़ सकती हैं। पुरानी बीमारियाँ फिर से उभर सकती हैं, विशेषकर मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है। तनाव, चिन्ता, नींद नहीं आने की समस्या और अवसाद जैसी स्थितियाँ परेशान कर सकती हैं। मन को शान्त रखने और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने पर ध्यान देना चाहिए।
परिवार और समाज : पारिवारिक कलह और मतभेद हो सकते हैं। किसी करीबी रिश्तेदार के स्वास्थ्य की चिन्ता रह सकती है। परिवार से दूर जाना पड़ सकता है या दूरी का अनुभव हो सकता है। सम्पत्ति से जुड़े विवादों में उलझने की आशंका है। माता–पिता की सेहत का विशेष रूप से ध्यान रखें। विवाहित जातकों को सन्तान सम्बन्धी चिन्ता रह सकती है, जबकि अविवाहितों के रिश्ते तय होने में रुकावट आ सकती है। सामाजिक प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचने या अपमान जैसी परिस्थितियाँ बन सकती हैं। अगर आप किसी सामाजिक संस्थान से जुड़े हुए हैं, तो अभी सतर्क रहने की जरूरत है। अनावश्यक राजनीति के चलते अपयश का सामना करना पड़ सकता है।
वित्तीय स्थिति : धन सम्बन्धी मामलों में सावधानी की जरूरत है। अचानक खर्चे बढ़ सकते हैं, जिससे आर्थिक तंगी महसूस हो सकती है। कर्ज लेने की नौबत आ सकती है। निवेश के मामले में सतर्कता जरूरी है। जोखिम भरे फैसलों से बचें। जमीन–जायदाद से जुड़े लेन–देन में धोखाधड़ी का खतरा हो सकता है। इसलिए जानकार लोगों से राय-मशविरा करके ही निर्णय लेना उचित रहेगा। धन निवेश की दृष्टि से समय अभी उपयुक्त नहीं है। दूसरों की देखा-देखी निवेश करने से बचना चाहिए।
नौकरी और व्यवसाय : नौकरीपेशा लोगों को इस दौरान कार्यक्षेत्र में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। स्थानान्तरण या नौकरी बदलने की परिस्थिति बन सकती है। वरिष्ठ अधिकारियों से मतभेद हो सकते हैं। इससे आपके काम पर बुरा असर पड़ सकता है। नियमों का उल्लंघन करने से बचें और धोखे से सावधान रहें। ऑफिस की राजनीति में पड़ने से बचना चाहिए। व्यवसायियों के लिए भी यह समय चुनौतीपूर्ण रहेगा। मन्दी या मुनाफे में कमी की सम्भावना है। साझेदारों और ग्राहकों के साथ सम्बन्धों को सहज बनाए रखने का प्रयास करें।
अध्ययन और परीक्षा : विद्यार्थियों के लिए यह समय अनुकूल नहीं है। पढ़ाई में मन नहीं लगना, एकाग्रता की कमी और प्रतियोगिता परीक्षाओं में अपेक्षित सफलता नहीं मिलने की आशंका है। शिक्षकों या सहपाठियों से मनमुटाव हो सकता है। परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन नहीं होने से निराशा हो सकती है। हालाँकि, मेहनत और धैर्य से इन चुनौतियों को कम किया जा सकता है।
उपाय ः गुरु के अशुभ गोचरफलों में राहत के लिए निम्नलिखित उपाय करने चाहिए ः
1.    पाँच कैरेट अथवा उससे अधिक वजन का पुखराज तर्जनी अंगुली में धारण करना चाहिए।
2.    सातमुखी एवं दसमुखी रुद्राक्ष गले में धारण करना चाहिए।
3.    लक्ष्मीनारायण जी की नित्य पूजा करनी चाहिए।
4.    गुरु के सत्ताईसा यन्त्र की घर में स्थापना करें और उसकी नित्य पूजा करनी चाहिए।
5.    ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः। मन्त्र का जप करें।
6.    अपने गोत्र के ॠषि के चित्र की घर में स्थापना करें और उन्हें नित्य धूप–दीप दिखाया करें।
7.    आध्यात्मिक गुरु बनाएँ और गुरुवार को उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
8.    गुरु के इस गोचर के दौरान दो बार तीर्थयात्रा करें। •

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