Who becomes a Chartered Accountant (CA)

कौन बनते हैं चार्टर्ड अकाउंटेंट (सी.ए.)

भारतीय ज्योतिष के अन्तर्गत होराशास्त्रों में जातक के आजीविका सम्बन्धी कार्यक्षेत्रों और व्यवसायों का विचार भी किया गया है| प्राचीन ग्रन्थों में वर्णित ये फल आज के परिप्रेक्ष्य में लागू नहीं होते हैं, क्योंकि पिछले 50-60 वर्षों में कार्य और व्यावसायिक क्षेत्रों में व्यापक बदलाव आया है| 
ज्योतिष विषय के मूल आधार को परिवर्तित नहीं करते हुए, आज के परिप्रेक्ष्यानुसार आजीविका निर्णय करना ज्योतिषियों के लिए बहुत आवश्यक है|
यह निर्णय तब ही संभव है, जब आज के कार्यक्षेत्र और व्यवसायों को जानकर ज्योतिष विषय में उनके योगों की व्याख्या की जाए|
यह अनुसंधान काफी समय से ज्योतिर्विद् करते रहे हैं| कई आधुनिक ज्योतिर्विदों ने आज के परिप्रेक्ष्यानुसार कुण्डली में स्थित वर्तमान कार्यक्षेत्र और व्यवसाय के योगों की व्याख्या भी की है| 
इन अनुसंधानों के अन्तर्गत् कुण्डली में बनने वाले योग जैसे डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षक, सी.ए., प्रबन्धन क्षेत्र, कॉल सेंटर जॉब, प्रशासनिक सेवा, मीडिया लाइन में जॉब, फिल्म, टीवी-सीरियल या थिएटर लाइन में जाने का योग तथा विभिन्न प्रकार के व्यवसायों की व्याख्या की गई है| यहॉं पर कुण्डली में स्थित चार्टड अकाउंटेंट (सी.ए.) द्वारा आजीविका निर्वाह के योगों की व्याख्या की जा रही है :
सी.ए. या चार्टर्ड अकाउंटेंट वर्तमान समय में बहुत ही प्रसिद्ध कार्यक्षेत्र है| सी.ए. बनने के लिए वाणिज्य (कॉमर्स) विषय में विशेषज्ञता आवश्यक होती है| ज्योतिष में वाणिज्य विषय का कारक बुध को माना जाता है,  अत: कुण्डली में निम्नलिखित योग होने पर जातक सी.ए. बन सकता है :
1. बली पंचमेश यदि पंचम, चतुर्थ, एकादश, द्वितीय या सप्तम भाव में स्थित हो|
2. गुरु बली होकर पंचम भाव से संबंध बना रहा हो तथा चतुर्थ, पंचम, सप्तम, दशम या द्वितीय भाव में स्थित हो|
3. पंचमेश के अतिरिक्त कुण्डली  में बुध, गुरु एवं राहु भी बली होने चाहिए|
4. बली बुध और राहु का परस्पर संबंध बन रहा हो अथवा  उनका पंचम और पंचमेश से सम्बन्ध बने|
5. लग्नेश बली होकर पंचम भाव में स्थित हो तथा पंचमेश भी पंचम या लग्न से सम्बन्ध बनाता हो|
6. पंचमेश का सम्बन्ध गुरु, बुध, राहु तथा लग्नेश में से किन्हीं दो ग्रहों से हो तथा पंचमेश बलवान् हो|
उपर्युक्त योगों में से कोई दो या तीन योग किसी जातक की कुण्डली में बन रहे हों, तो जातक सी.ए. बन सकता है| जैसे :
उदाहरण-1 
नाम : श्री संदीप लोढ़ा
जन्म दिनांक : 31 दिस., 1981
जन्म समय: 11:35 बजे
जन्म स्थान: उदयपुर

 

उक्त जातक लगभग 23 वर्ष की अवस्था में सी.ए. की पढ़ाई पूर्ण कर डिग्री प्राप्त कर ली थी| वर्तमान में वे एक राष्ट्रीय बैंक में अच्छे वेतन पर नौकरी कर रहे हैं| वे हैं, इनकी कुण्डली में सी.ए. बनने के योग :
1. पंचमेश बुध एकादश भाव में स्थित होकर पंचम भाव को पूर्ण दृष्टि से देख रहा है| 
2. उच्च तथा वर्गोत्तमी राहु पंचम भाव में स्थित होकर बुध से दृष्टि सम्बन्ध बना रहा है तथा दोनों ही ग्रहों का यह योग नवांश कुण्डली में भी बन रहा है| 
3. गुरु नवम भाव में स्थित होकर पंचम भाव को तथा लग्न को पूर्ण दृष्टि से देख रहा है| 
4. वर्ष 1995 से गुरु की महादशा प्रारम्भ हुई थी, जो वर्तमान में चल रही है| इसी महादशा में इन्होंने सी.ए. की पढ़ाई पूर्ण की है| 
अत: गुरु, राहु तथा बुध के शुभ योग ने ही संदीपजी को सी.ए. बनाया है| 
उदाहरण-2
श्री प्रेमप्रकाश पारीक
जन्म दिनांक: 02 अक्टू., 1958
जन्म समय: 01:00 बजे
जन्म स्थान : जयपुर

श्री प्रेमप्रकाश पारीक का नाम भारत के प्रतिष्ठित सी.ए. में आता है| इनकी जन्म कुण्डली में बनने वाले सी.ए. योग निम्नलिखित हैं :
1. पंचमेश मंगल की अपने भाव पर पूर्ण दृष्टि है|
2. बुध उच्चराशि में स्थित होकर राहु से युति कर रहा है तथा राहु भी अपनी स्वराशि में स्थित है|
3. चतुर्थ भाव में गुरु स्थित होकर चन्द्र से केन्द्र स्थान में होने के कारण शुभ गजकेसरी योग बना रहा है| 
4. राहु महादशा में ही उन्होंने सी.ए. की पढ़ाई पूर्ण की तथा एक सफल सी.ए. बने|
इन्हें पंचमस्थ शनि के कारण सी.ए. शिक्षा के प्रारम्भ में थोड़ी-बहुत कठिनाइयॉं आयी थीं, परन्तु अन्य शुभ योगों के कारण ये आज सफलतम सी.ए. हैं| 
उदाहरण-3
श्री राजेश अग्रवाल
जन्म दिनांक: 24 जनवरी, 1976
जन्म समय: 22:44 बजे
जन्म स्थान: सीकर

 

उपर्युक्त कुण्डली राजेश अग्रवाल की है, जो वर्तमान में मुंबई में सी.ए. की प्रेक्टिस कर धनार्जन कर रहे हैं:
1. इनकी जन्मकुण्डली में लग्नेश तथा कर्मेश बुध पंचम भाव में वक्री होकर स्थित है| 
2. पंचमेश शनि वक्री होकर पूर्ण दृष्टि से अपने भाव को देख रहा है तथा बुध-शनि भी समसप्तक स्थिति में है|
3. उच्च शिक्षा का कारक गुरु चतुर्थ भाव का स्वामी होकर सप्तम भाव में स्वराशि में स्थित होकर हंस नामक पंचमहापुरुष योग बना रहा है| 
4. मित्रराशिगत राहु द्वितीय भाव में स्थित है तथा नवांश में भी उच्च का होकर धनेश के साथ विराजमान है| 
5. गुरु सप्तम भाव में स्वराशि का होकर मित्रदृष्टि से एकादश तथा तृतीय भाव को देख रहा है| इस कारण उन्होंने किसी कंपनी में नौकरी नहीं करके स्वयं की प्रेक्टिस जारी रखी| 
इनका जन्म गुरु महादशा में गुरु के अंतर में हुआ था| शनि की महादशा के प्रारम्भ में इन्हें विद्या सम्बन्धी समस्याएँ आयीं, लेकिन पंचमेश शनि की दशा में ही वे एक सफल सी.ए. बने|
उदाहरण-4
श्री मनोज
जन्म दिनांक: 16 फरवरी, 1982
जन्म समय: 15:00 बजे
जन्म स्थान: सीकर

 

मनोजजी सी.ए. की पढ़ाई सम्पूर्ण कर वर्तमान में एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में नौकरी कर रहे हैं| 
1. इनका लग्नेश तथा चतुर्थेश बुध अष्टम भाव में पंचमेश श्ाुक्र से युति कर रहा है तथा दोनों ही ग्रहों की धन भाव पर पूर्ण दृष्टि है| 
2. गुरु सप्तमेश तथा कर्मेश होकर पंचम भाव में स्थित है तथा लग्न में स्थित राहु को तथा लग्न को पूर्ण दृष्टि से देख रहा है| 
3. राहु लग्न में उच्च तथा वर्गोत्तमी होकर स्थित है तथा पंचम भाव को मित्र दृष्टि से देख रहा है| 
अत: निश्‍चित रूप से राहु, गुरु, बुध एवं श्ाुक्र के संयोग ने ही मनोज को सी.ए. बनाया|
बुध की स्थिति कमजोर होने के कारण इन्हें सी.ए. की पढ़ाई में परेशानियॉं आईं थीं, परन्तु बुध के उपाय के बाद में वे काफी हद तक दूर हो गईं| वर्तमान में इनको बुध की महादशा चल रही है, जो 2008 के अंत तक चलेगी| बुध की महादशा में ही इन्होंने सी.ए. बनने का सफर तय किया है| बुध में राहु तथा गुरु के अन्तर ने इन्हें सी.ए. परीक्षा में शीघ्र सफलता दिलवाई|
उदाहरण-5
स्व. श्री सी.एल. झँवर
जन्म दिनांक : 17 फरवरी, 1945
जन्म समय : 02:37 बजे
जन्म स्थान : बलारा

प्रस्तुत कुण्डली भारत के प्रसिद्ध सी.ए. स्व. सी.एल. झँवर की है, इनका निधन कुछ ही समय पूर्व हुआ है| झँवर जी ने अपने जीवन में बहुत संघर्ष करके इस प्रसिद्धि को पाया है, आज सम्पूर्ण सी.ए. जगत् इनका आभारी है| इनके सानिध्य में शिक्षा प्राप्त कई सी.ए. सम्पूर्ण विश्‍व में अपने कार्य के लिए प्रसिद्ध रहे हैं| तो आइए, जानते हैं किन योगों ने स्व. सी.एल. झँवर को इतना सफल सी.ए. बनाया|
1.  पंचमेश गुरु पंचम भाव को पूर्ण दृष्टि से देख रहा है|
2.  लग्नेश मंगल, लाभेश बुध से युति करके पराक्रम भाव में स्थित है तथा उस पर पंचमेश गुरु की भी पूर्ण दृष्टि है| इसी कारण झँवर जी अपने पराक्रम से इतने सफल हुए|
3.  राहु उच्च राशि में स्थित होकर बली है| नवांश कुण्डली में राहु की बुध पर तथा बुध की पंचमभाव पर पूर्ण दृष्टि है|
4. शुक्र महादशा में झँवर जी ने अपनी सी.ए. शिक्षा सम्पूर्ण की तथा शुक्र महादशा में राहु का अन्तर आने पर ये सी.ए. बने| सूर्य महादशा ने इन्हें प्रसिद्धि एवं सफलता दिलाई|•

 

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