कैसा रहेगा कन्या राशि वालों के लिए मिथुन का गुरु?
कन्या राशि वालों के लिए गुरु का मिथुन राशि में गोचर उनकी राशि से दशम भाव में रहेगा। दशम भाव में गुरु का गोचर सामान्यतः मिश्रित फलदायक रहता है। इसके फलस्वरूप नौकरी एवं व्यवसाय में अवरोध, सम्पत्ति सम्बन्धी विवाद, माता-पिता के सुख में कमी, गृहक्लेश की अधिकता, रुग्णता इत्यादि फल बताए गए हैं। दशम भाव का प्रतिवेध स्थान नवम भाव है। इस प्रकार वृषभ राशि में जब-जब अन्य ग्रहों का गोचर होगा, तब-तब गुरु के उक्त अशुभफलों में कमी आएगी। इस गोचरावधि के दौरान जन्मराशि से शनि अष्टम भाव में तथा 29 मई से राहु षष्ठ और केतु द्वादश भाव में गोचर करेगा। शनि एवं केतु की अशुभता के चलते गुरु के अशुभ गोचरफलों का प्रभाव अधिक देखने को मिल सकता है।
दशम भाव में गोचररत गुरु अपने दृष्टीय प्रभाव से द्वितीय, चतुर्थ एवं षष्ठ भाव के फलों को भी प्रभावित करेगा। कुटुम्बीजनों एवं पैतृक सम्पत्ति से सम्बन्धित मामले उभर सकते हैं। पारिवारिक अशांति देखने को मिल सकती है। परिजनों से अपेक्षित सहयोग की प्राप्ति न होने से निराशा का अनुभव हो सकता है। साथ ही, खर्चों में वृद्धि हो सकती है, जिससे संचित धन में कमी का अनुभव हो सकता है और ऋण आदि लेने की परिस्थितियाँ बन सकती हैं। शत्रु सम्बन्धी समस्याओं में वृद्धि हो सकती है। साथ ही, थाना-कचहरी आदि के चक्कर भी लग सकते हैं।
स्वास्थ्य ः स्वास्थ्य सम्बन्धी आकस्मिक समस्याएँ परेशान कर सकती हैं। गलत इलाज अथवा दवाओं के इतर प्रभाव के चलते भी परेशानी का अनुभव हो सकता है। पहले से चली आ रही बीमारियों में भी सावधानी रखने की आवश्यकता है। खान-पान, दिनचर्या आदि का भी ध्यान रखें। साथ ही, वाहनादि चलाते समय भी सावधानी बरतें।
परिवार एवं समाज ः गृहक्लेश की अधिकता रह सकती है। किसी परिजन के वियोग का सामना करना पड़ सकता है। माता-पिता के स्वास्थ्य का ध्यान रखें। परिवार में शान्ति बनाए रखने का प्रयत्न करना चाहिए। सामाजिक मान-प्रतिष्ठा की दृष्टि से भी समय सावधानी की अपेक्षा कर रहा है। लाँछन आदि लगने से अपयश का सामना करना पड़ सकता है। यदि आप किसी सामाजिक या धार्मिक संगठन में सक्रिय हैं, तो वहाँ भी पैसे आदि के सम्बन्ध में सावधानी रखें। किसी से धोखा होने की आशंका भी रहेगी।
वित्तीय स्थिति ः व्यय की अधिकता के चलते वित्तीय संकट का सामना करना पड़ सकता है। जोखिमपूर्ण धन-निवेश से बचना चाहिए। दूसरों को उधार आदि भी न दें और दूसरों पर अधिक विश्वास भी न करें। सम्पत्ति आदि से सम्बन्धित विवाद परेशान कर सकते हैं।
नौकरी एवं व्यवसाय ः नौकरी पेशावर्ग को उच्चाधिकारियों से अच्छे सम्बन्ध बनाए रखने का प्रयत्न करना चाहिए और समय पर अपने कार्यों एवं उत्तरदायित्वों का निर्वहण करना चाहिए। नियमों एवं कानूनों का उल्लंघन न करें तथा दूसरों पर अधिक विश्वास न करें। किसी भी दस्तावेज पर हस्ताक्षर करते समय पूरा पढ़ एवं समझकर ही निर्णय लें।
व्यवसायियों को आन्तरिक समस्याएँ परेशान कर सकती हैं। कर्मचारियों के अतिरिक्त साझेदारों एवं सरकारी एजेंसियों से परेशानी का अनुभव हो सकता है। कर चोरी या अन्य किसी प्रकार से सरकारी नियमों का उल्लंघन न करें, अन्यथा परेशानी हो सकती है। सरकारी मामलों में लापरवाही न करें।
अध्ययन एवं परीक्षा ः अन्य कार्यों में व्यस्तता के चलते अध्ययन में बाधाएँ उत्पन्न हो सकती हैं। कुसंगति के कारण भी अध्ययन बाधित हो सकता है। कक्षा में आपकी छवि प्रभावित हो सकती है। परीक्षा परिणाम मनोनुकूल प्राप्त न होने से खिन्नता का अनुभव हो सकता है। इस गोचरावधि में प्रतियोगिता परीक्षार्थियों को भी अधिक परिश्रम करने की आवश्यकता होगी। लक्ष्य प्राप्ति के लिए गम्भीरतापूर्वक प्रयासों की आवश्यकता है।
उपाय ः गुरु के गोचरजनित अशुभ फलों में कमी करने के लिए निम्नलिखित उपाय करने चाहिए :
1. सातमुखी, नौमुखी एवं दसमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
2. लक्ष्मीनारायण जी की पूजा–उपासना करनी चाहिए तथा विष्णुसहस्रनामस्तोत्र का पाठ करना चाहिए।
3. ॐ ऐं क्लीं बृहस्पतये नमः। मन्त्र का नित्य जप करना चाहिए।
4. गुरु के सत्ताईसा यन्त्र की स्थापना कर उसकी भी नित्य पूजा करें।
5. गाय की सेवा करें तथा धार्मिक संस्थानों में दान करें। •