कैसा रहेगा कर्क राशि वालों के लिए मिथुन का गुरु?

कैसा रहेगा कर्क राशि वालों के लिए मिथुन का गुरु?

कर्क राशि वालों के लिए गुरु का मिथुन राशि में गोचर उनकी राशि से द्वादश भाव में रहेगा। गुरु का द्वादश भाव में गोचर सामान्यतः शुभफलदायक नहीं होता। द्वादश भाव में गुरु का गोचर आकस्मिक समस्याएँ उत्पन्न कर सकता है। द्वादश भाव का प्रतिवेध स्थान एकादश भाव है। इस प्रकार वृषभ राशि में जब-जब अन्य ग्रह का गोचर होगा, तब-तब गुरु के अशुभफलों में कमी का अनुभव होगा। इस गोचरावधि के दौरान शनि नवम भाव में गोचर करेंगे, जो कि शुभ नहीं है। इसी प्रकार 29 मई से राहु अष्टम भाव में और केतु द्वितीय भाव में गोचर करेंगे, इन दोनों के गोचर फल भी शुभ नहीं कहे जा सकते। इस प्रकार अन्य ग्रहों के अशुभ फलप्रद होने से गुरु का गोचर भी तुलनात्मक रूप से अधिक अशुभफलदायक प्रतीत होगा।  
द्वादश भाव में स्थित गुरु चतुर्थ, षष्ठ और अष्टम भाव को अपनी दृष्टि से प्रभावित करेगा। चतुर्थ भाव पर गुरु की दृष्टि के फलस्वरूप पारिवारिक समस्याओं में वृद्धि देखने को मिल सकती है। किसी परिजन के स्वास्थ्य को लेकर चिंता हो सकती है, जिसके चलते अस्पतालों के चक्कर आदि लग सकते हैं। सम्पत्ति आदि से संबंधित विवाद भी परेशान कर सकते हैं। षष्ठ भाव पर गुरु की अशुभ दृष्टि खर्चों में वृद्धि के चलते ऋण आदि लेने की परिस्थितियाँ उत्पन्न कर सकती है। साथ ही थाना-कचहरी एवं सरकारी विभागों में मामले उलझ सकते हैं। मुकदमे आदि की परिस्थितियाँ बन सकती है तथा शत्रु जनित समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है। अष्टम भाव पर अशुभ दृष्टि के चलते स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानियाँ उत्पन्न हो सकती हैं। कहने का आशय यही है कि मिथुन राशि में गुरु की गोचरावधि सावधानी की अपेक्षा करती है। शांतिपूर्वक समय को व्यतीत करना चाहिए। 
स्वास्थ्य ः गुरु की इस गोचरावधि में स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए। खान-पान एवं दिनचर्या का ध्यान रखें। इस दौरान आकस्मिक स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या से अस्पताल आदि के चक्कर लग सकते हैं। इस गोचरावधि में न केवल स्वयं के स्वास्थ्य के लिए, वरन् परिजनों के स्वास्थ्य की दृष्टि से भी सावधानी अपेक्षित है।
परिवार एवं समाज ः पारिवारिक एवं सामाजिक मामलों में जन्मराशि से द्वादश भाव में गुरु का गोचर शुभफलदायक नहीं है। पारिवारिक समस्याओं में वृद्धि हो सकती है। परिवार में आपका विरोध बढ़ सकता है। घर में अशान्ति का वातावरण परेशान कर सकता है। जीवनसाथी एवं सन्तान से सम्बन्धित किसी प्रकार की चिन्ता परेशान कर सकती है। इस गोचरावधि में परिजनों से दूर रहने के योग भी बन सकते हैं। किसी परिजन के वियोग का दुःख भी झेलना पड़ सकता है। यदि आप विवाह के इच्छुक हैं, तो अभी कुछ समय के लिए इन्तजार करना पड़ सकता है। सन्तान की अभिलाषा रखने वाले व्यक्तियों के लिए भी कुछ समय इन्तजार करना पड़ सकता है।
यह गोचरावधि सामाजिक मान-प्रतिष्ठा की दृष्टि से भी अनुकूल फलप्रद नहीं है। अपमान एवं अपयश की परिस्थितियाँ उत्पन्न हो सकती है। लांछन आदि लगने की भी आशंका रहेगी। इसलिए वाणी-व्यवहार एवं आचरण की दृष्टि से सावधानी रखें। यदि आप सामाजिक संगठनों में सक्रिय हैं, तो वहाँ भी सावधानी रखने की आवश्यकता है।
वित्तीय स्थिति ः गुरु के द्वादश भाव में गोचर के फलस्वरूप आकस्मिक व्यय में वृद्धि होगी, वहीं आय प्राप्ति में अवरोध भी उत्पन्न हो सकते हैं। ॠण आदि लेने की परिस्थितियाँ बन सकती हैं, जिसके चलते वित्तीय स्थिति प्रभावित हो सकती है। जोखिमपूर्ण धन-निवेश से बचना चाहिए। इसके अतिरिक्त वित्तीय मामलों में व्यवहार करते समय सतर्कता रखनी चाहिए। ऐसे मामलों में धोखा होने की आशंका रहेगी।
नौकरी एवं व्यवसाय ः नौकरी एवं व्यवसाय की दृष्टि से जन्मराशि से द्वादश भाव में गुरु का गोचर शुभफलदायक नहीं माना जा सकता। नौकरी में स्थानान्तरण आदि की आशंका रहेगी। अस्थायी नौकरी वालों के लिए नौकरी जाने की भी आशंका है। उच्चाधिकारियों से सम्बन्धों में तनाव हो सकता है। अपने कार्यों को समय पर पूरा करने का प्रयत्न करना चाहिए। नियमों एवं कानूनों का उल्लंघन न करें, अन्यथा आप फँस सकते हैं। दूसरों पर अधिक विश्वास नहीं करना चाहिए, क्योंकि धोखा खाने के योग भी बन रहे हैं। व्यवसायियों की दृष्टि से भी समय सावधानीपूर्वक व्यतीत करने योग्य है। जो मामले सरकारी विभागों में चल रहे हैं, उनके सम्बन्ध में भी लापरवाही न बरतें।
अध्ययन एवं परीक्षा ः विद्यार्थियों एवं प्रतियोगिता परीक्षार्थियों की दृष्टि से गुरु का द्वादश भाव में गोचर शुभफलदायक नहीं है। अध्ययन में बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है, वहीं एकाग्रता की समस्या भी परेशान कर सकती है। कक्षा एवं शिक्षण संस्थान में वाद-विवाद हो सकता है। गुरुजनों की कृपा प्राप्ति में अवरोध उत्पन्न हो सकता है। परीक्षाओं में भी प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं रहेगा। प्रतियोगिता परीक्षार्थियों को भी अपेक्षित सफलता प्राप्त न होने से खिन्नता हो सकती है।
उपाय – गुरु के इन अशुभफलों में कमी लाने के लिए निम्नलिखित उपाय करने चाहिए ः
1.    सातमुखी, आठमुखी एवं दसमुखी रुद्राक्ष धारण करने चाहिए।
2.    लक्ष्मीनारायण जी की पूजा-उपासना करनी चाहिए।
3.    ॐ ऐं क्लीं बृहस्पतये नमः। मन्त्र का अधिकाधिक जप करें।
4.    बृहस्पति के सत्ताईसा यन्त्र की घर में स्थापना करनी चाहिए।
5.    माता–पिता एवं गुरुजन के नित्य चरण स्पर्श करें।
6.    इस गोचरावधि में कम से कम दो बार तीर्थयात्रा करें। •

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