कैसा रहेगा कार्यकाल?
कब तक है NDA की सरकार!
प्रधानमंत्री मोदी ने लगातार तीसरी बार 09 जून 2024 को वृश्चिक लग्न एवं पुनर्वसु नक्षत्र में शपथ ली। शपथ ग्रहण कुण्डली में लग्नेश मंगल षष्ठ भाव में स्वराशि का है, जो प्रतिस्पर्धियों एवं विपक्ष से कठिन चुनौति का संकेत दे रहा है। सप्तम भाव में चार ग्रहों की युति एनडीए सरकार के 16 घटक दलों के मध्य आपसी तालमेल के सम्बन्ध में बडी चुनौतियों का संकेत करती है। चतुर्थ भाव में कुम्भ राशि और उसमें शनि की उपस्थिति भी घटक दलों में सामंजस्य की दृष्टि से ठीक नहीं है। यह अवश्य है कि भाग्येश चन्द्रमा भाग्य भाव में है। सप्तम भाव में सूर्य-गुरु की युति राजयोगकारक है, तो वहीं गुरु और शुक्र की युति भी दूसरा राजयोग निर्मित कर रही है। आपसी सामंजस्य की दृष्टि से भले ही इन चार ग्रहों की चतुर्थ भाव में स्थिति ठीक नहीं है, परन्तु बन रहे राजयोग सरकार के कामकाज और समर्थन की दृष्टि से सहायक प्रतीत हो रहे हैं। लग्न पर गुरु, शुक्र एवं बुध जैसे शुभ ग्रहों का प्रभाव है, जो कि शुभ है। हालांकि इसके साथ ही शनि, राहु, मंगल एवं सूर्य जैसे पापग्रहों का लग्न पर दृष्टि प्रभाव भी है, जो कि कुछ अच्छे और कुछ अशुभ फलों का संकेत करता है। जहाँ तक पंचवर्षीय दशा का प्रश्न है, तो सरकार के गठन के समय गुरु की दशा 18 जून तक है, जो कि सरकार के गठन से सम्बन्धित मामलों में सहायक रहनी चाहिए। साथ ही कतिपय लोकहितकारी निर्णय भी इस अवधि में हो सकते हैं। उसके बाद आ रही शनि की दशा अप्रैल 2025 तक रहेगी, जिसमें शनि, बुध, मंगल एवं राहु की अन्तर्दशा अवधि शुभ नहीं कही जा सकती। शनि की अन्तर्दशा जुलाई तक रहेगी, जिसमें भाजपा की अन्तरिक समस्याएँ भी उभर सकती हैं। उसके बाद अगस्त-सितम्बर माह में बुध की अन्तर्दशा में विपक्ष की चुनौति एवं सहयोगियों के तालमेल से सम्बन्धित समस्याओं को लेकर परेशानी देखने को मिल सकती है। उसके बाद आने वाली केतु एवं शुक्र की दशाएँ सरकार के लिए अर्थव्यवस्था एवं विदेशी मामलों के सम्बन्ध में उपलब्धिदायक रहनी चाहिए। दिसम्बर से फरवरी के मध्य शनि में मंगल और राहु की अन्तर्दशाएँ रहेंगी, जो कि पुन: विपक्ष की चुनौति और आन्तरिक समस्याओं के चलते परेशानी उत्पन्न करने वाली रह सकती हैं। उसके बाद आने वाली गुरु की अन्तर्दशा सरकार की लोकप्रियता में वृद्धि कर सकती है।
अप्रैल, 2024 से दिसम्बर, 2025 के मध्य बुध की महादशा रहेगी, जो कि सरकार के लिए अस्थिरता उत्पन्न करने वाली हो सकती है। बुध अष्टमेश होकर सप्तम भाव में अस्तंगत होकर स्थित है। इस दशा में अप्रैल-मई 2025 में बुध की अन्तर्दशा, अगस्त से अक्टूबर 2025 में मंगल और राहु की अन्तर्दशा तथा नवम्बर और दिसम्बर 2025 में शनि की अन्तर्दशा सरकार के लिए बडी समस्याएँ उत्पन्न करने वाली हो सकती हैं।
दिसम्बर 2025 से अप्रैल 2026 के मध्य केतु की महादशा होगी। शपथग्रहण कुण्डली में केतु एकादश भाव में स्थित होकर आर्थिक मामलों में उपलब्ध देने वाला बन रहा है। इस अवधि में अर्थव्यवस्था से सम्बन्धित उपलब्धियाँ अर्जित होने की सम्भावना है। केतु के पश्चात शुक्र की महादशा जनवरी, दो हजार सत्ताइस तक रहेगी, जो कि तुलनात्मक रूप से राहतकारी कही जा सकती है, परन्तु इस अवधि में भी सूर्य, मंगल, राहु एवं सनि की अन्तर्दशाएँ अच्छी नहीं कही जा सकती। फरवरी दो हजार सत्ताइस से मई दो हजार सत्ताइस के मध्य सरकार सूर्य की महादशा के प्रभाव में रहेगी। यह महादशा भी शुभ नहीं है। इस अवधि में सहयोगी दलों के मध्य अन्तरविरोध देखने को मिल सकते हैं। मई दो हजार सत्ताइस से अक्टूबर दो हजार सत्ताइस तक चलने वाली चन्द्रमा की अन्तर्दशा में विशेष परिवर्तन की सम्भावना दिखाई नहीं दे रही है। अक्टूबर दो हजार सत्ताइस से अक्टूबर दो हजार अट्ठाइस के मध्य सरकार का समय बहुत अच्छा नहीं है, क्योंकि इस अवधि में मंगल एवं राहु की दशाएँ रहेंगी, जो कि शुभ नहीं है। नवम्बर दो हजार अट्ठाइस से गुरु की महादशा रहेगी, जिसमें लोकहितकारी निर्णय सरकार द्वारा लिए जाने की सम्भावना रहेगी। शपथग्रहण कुण्डली के आधार पर यह कहा जा सकता है कि एनडीए की इस सरकार का सफर बहुत आसान नहीं है। ग्रहस्थिति और दशाएँ कुछ इस तरह की है, जिसके चलते इस सरकार को लगातार बडी-बडी चुनौतियों का सामना करना पडेगा। यहाँ तक कि सरकार की अस्थिरता से भी इनकार नहीं किया जा सकता।