कैसा रहेगा तुला राशि वालों के लिए मिथुन का गुरु?

कैसा रहेगा तुला राशि वालों के लिए मिथुन का गुरु?

तुला राशि वालों के लिए गुरु का मिथुन राशि में गोचर उनकी राशि से नवम भाव में रहेगा। नवम भाव में गुरु का गोचर सामान्यतः शुभफलदायक रहता है। अटके हुए कार्यों में प्रगति होगी, जिससे अपेक्षित सफलता की प्राप्ति होगी। इससे आपके उत्साह एवं पराक्रम में वृद्धि होगी तथा सकारात्मक विचारों की अधिकता रहेगी। नवम भाव में गोचर का वेध स्थान दशम भाव है। इस प्रकार जब–जब कर्क राशि में अन्य ग्रहों का गोचर होगा, तब–तब गुरु के शुभफलों में कमी का अनुभव होगा। इस गोचरावधि के दौरान जन्मराशि से शनि छठे भाव में तथा 29 मई से राहु पंचम भाव में और केतु एकादश भाव में गोचर करेगा। शनि एवं केतु के शुभगोचरफल के चलते गुरु के गोचरफलों में भी अधिक शुभता का अनुभव होगा।
नवम भाव में शुभ गोचर करता हुआ गुरु अपनी दृष्टि से लग्न, तृतीय भाव एवं पंचम भाव के फलों को भी प्रभावित करेगा। लग्न पर गुरु की दृष्टि के फलस्वरूप स्वभाव में व्यवहार कुशलता एवं विनम्रता में वृद्धि होगी। लिखने-पढ़ने की आदत देखने को मिलेगी, तो वहीं धर्म, अध्यात्म, पराविद्या, ज्योतिष आदि के प्रति भी अभिरुचि भी बढ़ेगी। सकारात्मक दृष्टिकोण होगा तथा उत्साह एवं पराक्रम बढ़ा-चढ़ा रहेगा। परिजनों से अपेक्षित सहयोग की प्राप्ति सम्भव होगी। संतति से संबंधित शुभ समाचारों की प्राप्ति होगी और विवाहयोग्य व्यक्तियों के विवाह के रिश्तों में वृद्धि होगी। आपके मान-सम्मान में वृद्धि देखने को मिलेगी।
स्वास्थ्य- पहले से चली आ रही समस्याओं में भी राहत का अनुभव होगा। उत्साह एवं पराक्रम में वृद्धि होगी तथा मन भी प्रसन्न रहेगा। सकारात्मक विचारों का सर्जन होगा। प्रायः स्वास्थ्य सम्बन्धी अनुकूल फलों की प्राप्ति होगी।
परिवार एवं समाज-घर में मांगलिक कार्यक्रम सम्पन्न होंगे। विवाहयोग्य व्यक्तियों के विवाह होने के भी योग हैं। गुरु की शुभ गोचरावधि में  सन्तानेच्छुक दम्पतियों की मनोकामना पूर्ण हो सकती है। इस अवधि में पंचमस्थ राहु गर्भावस्था के दौरान सतर्कता बरतने की अपेक्षा करता है। परिजनों के साथ स्नेह, प्रेम एवं सौहार्द में वृद्धि होगी। परिजनों से सम्बन्धित शुभ समाचारों की प्राप्ति होगी और उनका पर्याप्त सहयोग मिलेगा। उनके साथ यात्रा आदि पर जाने के योग बन सकते हैं।  सामाजिक मान-प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी तथा सम्मान प्राप्ति के अवसर आएँगे। धार्मिक एवं सामाजिक क्षेत्र में सक्रियता बढ़ेगी। धर्म एवं ज्योतिष सम्बन्धी साहित्य पढ़ने की प्रवृत्ति होगी।
वित्तीय स्थिति- वित्तीय समस्याओं में राहत मिलेगी और भाग्य का अपेक्षित सहयोग प्राप्त होगा, जिससे आय में वृद्धि के अवसर आएँगे, वहीं दूसरी ओर अनावश्यक व्यय भी कम होंगे। अटके हुए धन की प्राप्ति होने से आर्थिक सुदृढ़ता में वृद्धि होगी। पूर्व में किए गए धननिवेश से लाभ प्राप्त होगा। यह गोचरावधि धन निवेश की दृष्टि से सामान्यतः अनुकूल फलप्रद रहनी चाहिए। भूमि–भवन, वाहन, भौतिक सुविधा संबंधी उपकरणों के खरीदने के योग भी हैं। 
नौकरी एवं व्यवसाय- नौकरी वालों के लिए पदोन्नति के अवसर आएँगे। साथ ही, वेतन वृद्धि की भी सम्भावना है। उच्चाधिकारियों से पुरस्कार एवं प्रशंसा प्राप्ति के योग बन रहे हैं, वहीं सहकर्मियों से अपेक्षित सहयोग की प्राप्ति होगी। कार्यालय में मान-प्रतिष्ठा की वृद्धि होगी। प्राइवेट कम्पनी  में नौकरी करने वाले व्यक्तियों को अन्य नौकरी के अच्छे अवसर प्राप्त होंगे। व्यवसायियों का अपेक्षित उन्नति से मन प्रसन्न होगा। व्यापार विस्तार के अवसर भी आएँगे। टर्न ओवर में वृद्धि होगी।
अध्ययन एवं परीक्षा- अपेक्षित कोर्स या संस्थान में प्रवेश मिलने की सम्भावना है। अध्ययन सुचारू रह पाएगा और परीक्षाओं में भी अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद की जा सकती है। कक्षा एवं संस्थान में आपकी छवि बेहतर होगी। प्रतियोगिता परीक्षार्थियों की दृष्टि से भी समय अनुकूल है।
उपाय- गुरु के शुभफलों में वृद्धि के लिए निम्नलिखित उपाय करें ः
1.    आठमुखी और दसमुखी रुद्राक्ष गले में धारण करें।
2.    सात कैरेट वजन का ओपल तथा पाँच कैरेट वजन का नीलम रत्न धारण करना चाहिए।
3.    प्रतिदिन राधा–कृष्ण की पूजा-उपासना करनी चाहिए।
4.    ॐ ऐं क्लीं बृहस्पतये नमः। मन्त्र का नित्य जप करना चाहिए।
5.    अपने गोत्र के ॠषि का चित्र फ्रेम करवाकर घर में लगाएँ और उनकी प्रतिदिन पूजा–पाठ करें।
6.    माता–पिता के चरण स्पर्श करें। •

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