कैसा रहेगा धनु राशि वालों के लिए मिथुन का गुरु?

कैसा रहेगा धनु राशि वालों के लिए मिथुन का गुरु?

धनु राशि वालों के लिए मिथुन राशि का गुरु उनकी जन्मराशि से सप्तम भाव में रहेगा। सप्तम भाव में गुरु का गोचर सामान्यतः शुभ फलप्रद माना जाता है। इस दौरान शुभ समाचारों की प्राप्ति होगी। कार्यों में चल रहे अवरोध दूर होंगे। उत्साह एवं प्रसन्नता में वृद्धि होगी। नकारात्मक विचार दूर होकर सकारात्मक विचारों की अधिकता रहेगी। आलस्य एवं कार्यों को टालने की प्रवृत्ति दूर होगी। सप्तम भाव का वेध स्थान तृतीय भाव है, अतः जब–जब कुम्भ राशि में ग्रहों का गोचर होगा, तब–तब गुरु के शुभ गोचर फलों में कमी होगी। ध्यातव्य रहे कि राहु का कुम्भ राशि में गोचर 29 मई से आरम्भ हो रहा है। हालाँकि जन्मराशि से तृतीय भाव में राहु का गोचर शुभ फलदायक होता है, परन्तु वेध के चलते उसके प्रभाव से गुरु के शुभ फलों में कमी का अनुभव होगा। शनि का गोचर जन्मराशि से चतुर्थ भाव में रहेगा, जो कि ‘चतुर्थ ढय्या’ संज्ञक होने से अशुभ फलदायक है। इस प्रकार गुरु से मिलने वाले अपेक्षित शुभ फलों की प्राप्ति की सम्भावना कम है। 
सप्तम भाव में गोचर कर रहे गुरु का शुभ दृष्टीय प्रभाव लग्न, तृतीय एवं एकादश भाव पर भी होगा, जिसके चलते इन भावों से मिलने वाले शुभ फलों में वृद्धि होगी। स्वभाव में सकारात्मकता आएगी तथा समस्याओं को सुलझाने की प्रवृत्ति बनेगी। विनम्रता एवं व्यवहारकुशलता में वृद्धि से नए मित्र बनेंगे तथा परिजनों एवं रिश्तेदारों के साथ सम्बन्धों में भी घनिष्ठता आएगी। तृतीय भाव पर गुरु का शुभ दृष्टि प्रभाव भाई–बहिनों से अच्छे रिश्ते बनाने में सहायक होगा। उत्साह एवं पराक्रम में वृद्धि होगी तथा उद्यमशीलता आदि दिखाई देगी। इसी प्रकार एकादश भाव पर शुभ दृष्टि प्रभाव के चलते आय में वृद्धि के अवसर आएँगे। कार्यों में सफलता मिलेगी तथा नए अवसरों की प्राप्ति सम्भव होगी। भाग्य का अपेक्षित सहयोग मिलेगा और परिश्रम एवं प्रयासों से बेहतर प्रतिफलों की प्राप्ति होगी। 
स्वास्थ्य – स्वास्थ्य की दृष्टि से गुरु का मिथुन राशि में गोचर अनुकूल रहना चाहिए। विगत गोचरावधि में स्वास्थ्य सम्बन्धी जिन समस्याओं का आप सामना कर रहे थे, उनमें राहत मिलेगी। हाँ, इस गोचरावधि में उदर सम्बन्धी कुछ समस्याएँ हो सकती हैं। इसलिए खान-पान पर ध्यान रखना चाहिए। जो व्यक्ति मोटापे से परेशान हैं, उन्हें भी ध्यान रखने की जरूरत है।
परिवार एवं समाज – पारिवारिक एवं सामाजिक क्षेत्र में धनु राशि वालों के लिए गुरु का मिथुन राशि में गोचर सामान्यतः शुभफलदायक रहेगा। विवाहेच्छुक व्यक्तियों के विवाह होंगे, वहीं जिन व्यक्तियों को सन्तान की अभिलाषा है, उनकी यह अभिलाषा भी पूर्ण हो सकती है। घर में मांगलिक कार्य सम्पन्न होंगे। सामाजिक मान-प्रतिष्ठा में वृद्धि से गर्व का अनुभव होगा। किसी सामाजिक दायित्व का निर्वाह करना पड़ सकता है। सद्साहित्य पढ़ने की प्रवृत्ति बढ़ेगी, ज्योतिष के प्रति भी रुझान बढ़ेगा।
वित्तीय स्थिति – वित्तीय दृष्टि से गुरु का मिथुन राशि में गोचर आपके लिए शुभफलदायक रहना चाहिए। विगत गोचरावधि में जिन वित्तीय समस्याओं से आप परेशान हो रहे थे, उनमें राहत मिलेगी। आय के स्रोतों से नियमित रूप से आय प्राप्त होने लगेगी। अनावश्यक व्ययों पर अंकुश लगेगा और अटके हुए धन की प्राप्ति होगी। पूर्व में किए गए निवेश से बेहतर प्रतिफलों की प्राप्ति सम्भव होगी। 
नौकरी एवं व्यवसाय – नौकरी एवं व्यवसाय की दृष्टि से यह गोचरावधि अनुकूल फलप्रद रहनी चाहिए। नौकरीपेशा वर्ग को पदोन्नति एवं वेतन वृद्धि जैसे शुभफल प्राप्त हो सकते हैं। उच्चाधिकारियों से अच्छे सम्बन्ध बनेंगे और कार्यालय में आपकी छवि एवं प्रतिष्ठा सकारात्मक होगी। आपकी उपलब्धियों में इजाफा होगा एवं महत्त्वपूर्ण कार्य सम्पन्न होंगे।
व्यवसायी वर्ग के लिए गुरु की यह गोचरावधि शुभफलदायक रहनी चाहिए। व्यापार विस्तार के अवसर आएँगे। कर या सरकारी कार्यालय से सम्बन्धित जो विवाद चल रहे हैं, उनमें भी राहत का अनुभव होगा। अटकी हुई उधार की प्राप्ति सम्भव होगी। व्यवसाय में अपेक्षित निवेश प्राप्ति के अवसर भी आ सकते हैं। 
अध्ययन एवं परीक्षा – अध्ययन की दृष्टि से गुरु की यह गोचरावधि शुभ फलदायक रहनी चाहिए। अध्ययन के प्रति एकाग्रता में वृद्धि होगी। कक्षा एवं विद्यालय या संस्थान में आपकी प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। परीक्षाओं में भी बेहतर प्रदर्शन होगा। प्रतियोगिता परीक्षार्थियों को इस गोचरावधि में शुभ परिणामों की प्राप्ति हो सकती है। परीक्षाओं में उनका प्रदर्शन अच्छा रहना चाहिए। 
उपाय – गुरु के शुभ गोचर में वृद्धि के लिए निम्न उपाय करें ः
1.    पाँच कैरेट या अधिक वजन का पुखराज अथवा सुनहला धारण करना चाहिए।
2.    सातमुखी एवं नौमुखी रुद्राक्ष गले में धारण करने चाहिए। इससे शनि एवं केतु से सम्बन्धित अशुभ फलों में कमी आएगी।
3.    नित्य प्रात: माता–पिता के चरण स्पर्श करें।
4.    ॐ ऐं क्लीं बृहस्पतये नमः। मन्त्र का जप करना चाहिए। •

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