कैसा रहेगा वृश्चिक राशि वालों के लिए मिथुन का गुरु?

कैसा रहेगा वृश्चिक राशि वालों के लिए मिथुन का गुरु?

वृश्चिक राशि वालों के लिए गुरु का मिथुन राशि में गोचर उनकी राशि से अष्टम भाव में रहेगा, जो कि शुभ नहीं है। इसलिए इस गोचरावधि को सावधानीपूर्वक व्यतीत करना चाहिए। इस दौरान पारिवारिक समस्याओं में वृद्धि हो सकती है। नौकरी एवं व्यवसाय सम्बन्धी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। साथ ही, स्वास्थ्य भी प्रभावित हो सकता है। अष्टम भाव का प्रतिवेध स्थान सप्तम भाव है। इस प्रकार जब वृषभ राशि में अन्य ग्रहों का गोचर होगा, तब गुरु के अशुभ फलों में कमी का अनुभव होगा। गुरु की इस गोचरावधि में शनि पंचम भाव में रहेगा, जो कि शुभ नहीं है। राहु–केतु की स्थिति भी राहतकारी प्रतीत नहीं हो रही, क्योंकि राहु जन्मराशि से चतुर्थ और केतु दशम भाव में गोचर करेगा।
अष्टम में अशुभ गोचर करता हुआ गुरु अपने दृष्टीय प्रभाव से द्वादश भाव, द्वितीय भाव एवं चतुर्थ भाव के फलों को भी प्रभावित करेगा। द्वादश भाव पर गुरु के इस अशुभ प्रभाव से खर्चों में वृद्धि हो सकती है, तो वहीं नौकरी में स्थानान्तरण आदि की भी समस्या उत्पन्न हो सकती है। अस्पताल आदि के भी चक्कर लग सकते हैं। संचित धन में कमी देखने को मिल सकती है। कुटुम्बीजनों एवं रिश्तेदारों से सम्बन्धों में तनाव उत्पन्न हो सकता है। सम्पत्ति को लेकर तनाव उत्पन्न हो सकता है।
स्वास्थ्य – स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानियाँ उत्पन्न हो सकती हैं। यदि आप पहले ही किसी दीर्घकालिक बीमारी से पीड़ित हैं, तो इस दौरान सावधान रहने की आवश्यकता है। समय-समय पर चिकित्सकीय जाँच करवाते रहें और उनके परामर्श के अनुरूप दिनचर्या आदि रखें। 
परिवार एवं समाज – पारिवारिक मामलों में भी सावधानी रखनी चाहिए। अनावश्यक वाद-विवाद से बचना चाहिए। परिजनों से दूर रहने की परिस्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं। माता-पिता सम्बन्धी चिन्ता रह सकती है, वहीं जीवनसाथी सम्बन्धी चिन्ता भी हो सकती है। इस दौरान विवाहयोग्य युवक-युवतियों को विवाह के लिए इन्तजार करना पड़ सकता है। सामाजिक मान-प्रतिष्ठा की दृष्टि से गुरु का अष्टम भाव में गोचर शुभ फलदायक नहीं है। अपयश की  परिस्थितियाँ बन सकती हैं।
वित्तीय स्थिति – आय में उतार–चढ़ाव की आशंका रहेगी। वहीं, नियमित आय के स्रोतों में भी बाधा उत्पन्न हो सकती है। चोरी, दुर्घटना आदि के कारण हानि होने की आशंका रहेगी। इस दौरान जोखिमपूर्ण धननिवेश नहीं करना चाहिए। व्यय की अधिकता से ॠण आदि की परिस्थितियाँ बनेंगी।
नौकरी एवं व्यवसाय – नौकरीपेशा वालों का स्थानान्तरण होने की आशंका रहेगी। पदोन्नति में अवरोध अथवा दण्डित होने की परिस्थितियाँ बन सकती हैं। यदि आप प्राइवेट नौकरी में हैं, तो नौकरी में परिवर्तन के लिए मजबूर होना पड़ सकता है। व्यवसायियों को उतार–चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है। व्यवसाय में मन्दी की परिस्थितियाँ भी बन सकती हैं। सरकारी नियमों का उल्लंघन न हो, इसका भी विशेष ध्यान रखना चाहिए।
अध्ययन एवं परीक्षा – कुसंगति, दुर्व्यसन अथवा अध्यनेतर गतिविधियों में सक्रियता से अध्ययन प्रभावित हो सकता है। प्रतियोगिता परीक्षार्थियों के लिए भी समय अनुकूल नहीं है। उनका भी अध्ययन बाधित हो सकता है।
उपाय – गुरु के अशुभ फलों में कमी करने के निम्नलिखित उपाय हैं ः
1.    सातमुखी एवं दसमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
2.    विष्णुसहस्रनामस्तोत्र का पाठ करें।
3.    भगवान् शिव एवं लक्ष्मीनारायण जी की पूजा–उपासना करें।
4.    ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः। मन्त्र का नित्य जप करें।
5.    आध्यात्मिक गुरु बनाएँ और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
6.    गीता, उपनिषद् आदि धार्मिक ग्रन्थों का अध्ययन करें। •

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