कैसा रहेगा वृषभ राशि वालों के लिए मिथुन का गुरु?

कैसा रहेगा वृषभ राशि वालों के लिए मिथुन का गुरु?

वृषभ राशि वालों के लिए गुरु का मिथुन राशि में गोचर उनकी राशि से द्वितीय भाव में रहेगा। ज्योतिष के अनुसार द्वितीय भावस्थ गुरु आमतौर पर शुभफलदायक होता है। इस गोचरावधि के दौरान शनि आपकी राशि से एकादश भाव में तथा राहु 29 मई से दशम भाव में गोचर करेगा, जो कि कॅरिअर आदि की दृष्टि से अनुकूल कहा जा सकता है। इस प्रकार अन्य ग्रहों की भी अनुकूलता के चलते मिथुन राशि में गुरु के गोचर के दौरान कॅरिअर, रिश्ते आदि की दृष्टि से आपको प्राय: शुभ परिणाम मिलने की सम्भावना रहेगी।
द्वितीय भाव में गोचररत गुरु अपनी दृष्टि से छठे, आठवें और दसवें भाव के फलों को भी प्रभावित करता है। छठवें भाव पर गुरु की दृष्टि के चलते पुलिस, कचहरी एवं सरकार के विभिन्न विभागों में चल रहे मामलों में आपके फेवर में परिणाम आने की सम्भावना रहेगी। शत्रु सम्बन्धी समस्याओं में भी राहत मिलेगी। समझौते आदि की परिस्थितियाँ बनेंगी और मुकदमे आदि में कमी देखने को मिलेगी। इसके अतिरिक्त ऋण आदि के चुकारे की भी परिस्थितियाँ बनेंगी। अष्टम भाव पर गुरु के शुभ दृष्टि प्रभाव के चलते आध्यात्मिक क्षेत्र में अभिरुचि बढ़ेगी तथा साधना आदि में सफलता मिलेगी। गुरु की कृपा प्राप्त होगी। दशम भाव पर गुरु की शुभ दृष्टि के चलते कॅरिअर में उन्नति के अवसर आएँगे।
स्वास्थ्य : सेहत की दृष्टि से गुरु का यह गोचर अनुकूल है। पुरानी बीमारियों में राहत मिलेगी और शारीरिक स्फूर्ति बनी रहेगी। नकारात्मकता दूर होगी तथा सकारात्मक दृष्टिकोण बनेगा। स्वभाव में विनम्रता में वृद्धि होगी। अपनी व्यवहार कुशलता से कई मामलों को सुलझा पाने में आप सफल होेंगे और दूसरों से अपेक्षित सहयोग प्राप्त करने में भी आपकी स्वाभाविक विनम्रता एवं व्यवहार कुशलता उपयोगी सिद्ध होगी।
परिवार एवं समाज : परिवार के लिए यह समय अच्छा रह सकता है। घर में कोई शुभ कार्य सम्पन्न हो सकता है। मांगलिक कार्यक्रमों का आयोजन सम्भव है। साथ ही, विवाह योग्य व्यक्तियों के विवाह के योग बनेंगे। उनके अच्छे रिश्ते आ सकते हैं। यदि आप सन्तान प्राप्ति की इच्छा रखते हैं, तो इस दृष्टि से समय अनुकूल है। कोई खुशखबरी मिलने के आसार हैं। सामाजिक स्तर पर आपकी प्रतिष्ठा बढ़ेगी और संगठनों में पद प्राप्ति के योग बनेंगे। पुरस्कार एवं सम्मान मिलने की भी सम्भावना है। नए मित्र बनेंगे तथा मित्रों एवं रिश्तेदारों से अपेक्षित सहयोग की प्राप्ति सम्भव होगी।
वित्तीय स्थिति : धन–सम्पत्ति के मामले में यह गोचरावधि लाभदायक रहनी चाहिए। इस अवधि में आपकी आमदनी में बढ़ोतरी सम्भव है और पुराने निवेश से अच्छा लाभ मिलने की सम्भावना है। इसके अतिरिक्त आय में वृद्धि के नवीन स्रोत भी बन सकते हैं। अचल सम्पत्ति, वाहन या अन्य भौतिक सुख-सुविधाओं की वस्तुओं के क्रय करने के अवसर आ सकते हैं। अटका हुआ धन वापस मिलेगा और कर्ज चुकाने की भी परिस्थिति बनेगी।
नौकरी एवं व्यवसाय : नौकरीपेशा लोगों को पदोन्नति या वेतनवृद्धि के अवसर मिलेंगे। बेरोजगारों को नौकरी मिलने के योग भी बन रहे हैं। अगर आप ट्रांसफर चाहते हैं, तो आपकी यह इच्छा पूरी हो सकती है। इसके लिए आप प्रयास कर सकते हैं। कार्यालय में बेहतर परिस्थितियाँ बनेंगी। सहकर्मियों के साथ-साथ उच्चाधिकारियों का भी सहयोग मिलेगा। व्यवसायियों के लिए भी यह समय उन्नतिशील प्रतीत हो रहा है। व्यापार का विस्तार होने के योग बन रहे हैं। अटका हुआ धन मिल सकता है। साथ ही, व्यापार-व्यवसाय में लाभ में वृद्धि के भी योग बनेंगे। नवीन क्षेत्रों में व्यापार विस्तार की योजनाएँ बन सकती हैं। साथ ही डिजिटल मार्केटिंग अथवा ऑनलाइन बिजनस के माध्यम से भी टर्नओवर में वृद्धि होने की सम्भावना दिखाई दे रही है। इन दिनों तकनीकी संसाधनों से अपने व्यापार व्यवसाय को बनाने में आप सफल होेंगे। यदि आप राजनीति में भी अवसर तलाशने का प्रयत्न कर रहे हैं, तो यह गोचरावधि आपके लिए कुछ अच्छे अवसर प्रदान कर सकती है। इसलिए इस क्षेत्र में भी आप प्रयास कर सकते हैं।
अध्ययन एवं परीक्षाएँ : विद्यार्थियों के लिए यह गोचरावधि सहायक प्रतीत हो रही है। इस अवधि में पढ़ाई में एकाग्रता बढ़ेगी और परीक्षाओं में अच्छे परिणाम आएँगे। स्कूल या कॉलेज में आपकी छवि बेहतर होने के योग बन रहे हैं। इन दिनों अध्यापक भी आपके साथ मित्रवत् व्यवहार रखेंगे आैर आपकी मदद के लिए तत्पर रह सकते हैं। प्रतियोगिता परीक्षाओं में भी आपका प्रदर्शन बेहतर रहेगा और उसमें सफलता की भी सम्भावना है।
उपाय – मिथुन राशि के गुरु के शुभफलों में वृद्धि के लिए निम्नलिखित उपाय किए जाने चाहिए ः
1. पाँच कैरेट अथवा अधिक वजन का नीलम रत्न धारण करना चाहिए, जिससे शनि के शुभ गोचर फलों में वृद्धि होगी।
2. ॐ बृं बृहस्पतये नमः मन्त्र का अधिकाधिक जप करें।
3. लक्ष्मीनारायण जी की पूजा-उपासना करें।
4. आध्यात्मिक गुरु बनाएँ और उनका अधिकाधिक आशीर्वाद प्राप्त करें।
5. आठमुखी, नौमुखी एवं दसमुखी रुद्राक्ष गले में धारण करना चाहिए, जिससे एक ओर जहाँ गुरु के शुभ गोचरफलों में वृद्धि होगी, वहीं राहु-केतु की अशुभता में भी कमी आएगी। •

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