मोदी-शाह और योगी में तनाव! – क्या कहते हैं योगी के सितारे?
वैसे तो प्रत्येक लोकसभा चुनाव में उत्तरप्रदेश प्रमुख बैटल ग्राउंड के रूप में होता है, परन्तु इस लोकसभा चुनाव में पूरे राजनीतिक परिदृश्य को बदलने वाला उत्तरप्रदेश ही रहा, जहाँ भारतीय जनता पार्टी को निर्णायक हार का सामना करना पडा। सीटों की दृष्टि से देखें, तो वह उत्तरप्रदेश में दूसरे नम्बर की पार्टी रही है। अयोध्या (फैजाबाद) की हार की गूँज सम्पूर्ण भारत में सुनाई दी। बनारस एवं लखनउ जैसी सुरक्षित सीटों पर भी जीत का अन्तर नेताओं के कद को देखते हुए बहुत ही कम कहा जा सकता है। अनेक केन्द्रीय मंत्री हारे हैं। जब ऐसी पराजय होती है, तो संगठन की आपसी खींचतान भी उजागर होने लगती है। छोटी-छोटी बातें बाहर आने लगती हैं और हार का ठीकरा एक-दूसरे पर फोडने की कवायद होने लगती है। पिछले दस सालों में ऐसा कांग्रेस में हो रहा था, परन्तु इस बार भाजपा में भी होने की खबरें मीडिया में चल रही हैं। उनमें सबसे बडी खबर उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केन्द्रीय नेतृत्व के मध्य तनाव को लेकर है। जहाँ चुनावों से पहले उत्तरप्रदेश में मोदी-योगी की जोडी को राजनीतिक सफलता अर्जित करवानी वाली मजबूत जोडी के रूप में देखा जा रहा था, अब वहीं मीडिया की खबरों में केन्द्रीय नेतृत्व एवं लखनउ में आपसी तनाव आैर खींचतान को भी भाजपा की हार के एक बडे कारण के रूप में देखा जा रहा है। महाराष्ट्र में फणनवीस के इस्तीफे के बाद ऐसी भी खबरें सोशल मीडिया पर सूत्रों के माध्यम से चल रही हैं कि उत्तरप्रदेश में भी नेतृत्व परिवर्तन की आशंका है। आइए, योगी आदित्यनाथ की उपलब्ध जन्मपत्रिका के माध्यम से देखें कि क्या कुछ परिवर्तन दिखाई दे रहा है?
योगी आदित्यनाथ की उपलब्ध सिंह लग्न की जन्मपत्रिका के अनुसार वर्तमान में वे केतु में बुध में मंगल की प्रत्यन्तर्दशा के प्रभाव में हैं, जो कि राजनीतिक सफलता की दृष्टि से अनुकूल फलप्रद है। बुध एकादशेश है, वह भी सफलता कारक है। एकादशेश बुध एवं एकादश भावस्थ मंगल दोनों ही इस दशा अवधि में उनकी मनोकामना की पूर्ति करवा रहे हैं। मंगल के बाद तेरह जून से आने वाली राहु की प्रत्यन्तर्दशा में राजनीतिक उथल-पुथल के वातावरण की आशंका प्रतीत होती है। जन्मपत्रिका में राहु षष्ठ भावस्थ है, जो कि विरोधियों और प्रतिस्पर्धियों को अवसर दे सकता है। हालांकि निरयण भाव चलित में राहु पंचम भाव में गुरु के साथ युति बनाता हुआ राजयोग निर्माता मंगल और शुक्र के साथ सम्बन्ध बनाकर राजयोग के समान फल देता है, परन्तु राहु-गुरु की युति गुरुचाण्डाल योग का निर्माण भी कर रही है और पंचम या दशम भाव में बनने वाला गुरुचाण्डाल योग कॅरिअर में अप्रत्याशित उतार-चढाव भी देता है। ऐसी स्थिति में तेरह जून से सितम्बर चौबीस के मध्य की अवधि में योगी आदित्यनाथ को प्रतिस्पर्धियों से बडी चुनौति मिल सकती है।