राहुल की यात्राएँ शनि के कारगर उपाय हैं!
राहुल गांधी की जन्मपत्रिका में शनि यद्यपि योगकारक है, परन्तु वह सप्तम भाव में नीच राशिस्थ है। क्या आप जानते हैं कि राहुल की लगातार यात्राएं इस नीच राशिस्थ शनि का उपाय हैं? जी हां, ये यात्राएं कारगर उपाय के रूप में हैं और जबसे उन्होंने ये यात्राएं आरम्भ की हैं, तबसे उनकी लोकप्रियता में वृद्धि हुई है और उन्हें राजनीतिक सफलताएं प्राप्त होने लगी हैं। शनि शारीरिक परिश्रम और पैदल कष्टपूर्ण यात्राओं का कारक है। कन्याकुमारी से कश्मीर की यात्रा राहुल की पदयात्रा ही थी, जिसमें वे आम जनता यानि प्रजाजन, दलित-पीडित-किसान-मजदूर-गरीब-आदिवासी इत्यादि लोगों से लगातार मिले और उनकी समस्याओं एवं कष्टों में राहत का आश्वासन दिया। ये सभी शनि के कारकत्व में हैं। सशस्त्र हिंसा से ग्रस्त आदिवासी राज्य मणिपुर से उन्होंने भारतजोडो न्याययात्रा आरम्भ की। राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि इस लोकसभा चुनाव में इन दोनों यात्राओं का अच्छा प्रभाव पडा है।
ज्याेतिष की दृष्टि से देखें तो ये यात्राएं शनि के उपाय के रूप में भी थीं। चुनाव परिणाम के बाद भी राहुल लगातार शनि के कारकत्व से सम्बन्धित लोगों से मिल रहे हैं और उनके क्षेत्रों में जा रहे हैं। हाथरस हादसे से पीडित लोगों से मिलना, दिल्ली में राजमिस्त्रियों एवं मजदूरों के साथ काम करना, रेलवे के लोको पायलेटों के पास जाकर उनकी समस्याएं सुनना और अब हिंसाग्रस्त आदिवासी राज्य मणिपुर की यात्रा ये सब नीचराशिस्थ शनि का उपाय कर रही हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि या तो शनि की अन्तर्दशा के प्रभाव से राहुल इस प्रकार की यात्राएं कर रहे हैं अथवा अपने एस्ट्रोलाेजर की सलाह से ये यात्राएं की जा रही हैं। इतना अवश्य है कि जितनी अधिक ये यात्राएं होंगी और दलित, पीडित, आदिवासी, मजदूर, किसान एवं गरीब के हितों के लिए वे जितनी अधिक राजनीति करेंगे, उतना ही वे सफल होंगे।