सच हुई भविष्यवाणी!

सच हुई भविष्यवाणी! अब आगे क्या?

चुनावों की घोषणा के साथ ही भाजपा के चार सौ पार के नारे में बहती हुई मीडिया भी ओपिनियन पोल में भाजपा को साढे तीन सौ से अधिक सीटें मिलने की सम्भावना व्यक्त करने लगी। इस सबके बावजूद हमने अपने विभिन्न विडियो में इस बात को रेखांकित किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्रमोदी की उपलब्ध जन्मपत्रिका में चुनावों के दौरान जो दशा है, वह उतनी अच्छी नहीं है, जिसमें दो हजार उन्नीस का प्रदर्शन वे दोहरा पाएँ। दूसरी ओर राहुल गाँधी की जन्मपत्रिका में समय अपेक्षाकृत बेहतर चल रहा है, जिससे उनका प्रदर्शन बेहतर होने की सम्भावना व्यक्त की गई थी, साथ ही यह भी कहा गया था कि चूँकि प्रधानमंत्री मोदी एवं राहुल गाँधी दोनों का समय इतना अधिक अनुकूल नहीं है कि दोनों ही बहुमत का आँकडा छू पाएँ। ऐसी स्थिति में त्रिशंकु लोकसभा की आशंका भी व्यक्त की गई थी। चूँकि इस बार चुनाव किसी केन्द्रीय मुद्दे या नेता के इर्दगिर्द नहीं लडा गया था, इसलिए प्रान्तीय स्तर की राजनीति भी इन चुनावों को प्रभावित कर रही थी। ऐसी स्थिति में प्रान्तीय नेताओं की महती भूमिका दिखाई दे रही थी। हमने क्षेत्रीय दलों एवं प्रान्तीय नेताओं के जन्मपत्रिका विश्लेषण पर आधारित विडियो भी प्रस्तुत किए थे। उसमें स्पष्ट रूप से अखिलेश यादव, उद्धव ठाकरे, शरद पवार, टीएमसी, तेजस्वी यादव, चन्द्रबाबू नायडू आदि की कुण्डलियों के आधार पर कहा गया था कि उनका समय चुनावों के दौरान बेहतर है। इसलिए उनका इस चुनाव में प्रदर्शन अच्छा रहेगा। जैसे ही चुनाव खत्म हुए और एक्जिट पोल आए जिसमें भाजपा के अभूतपूर्व बहुमत मिलने की सम्भावना व्यक्त की गई थी, तो कई दर्शकों के हमारे पास फोन आए कि आपकी भविष्यवाणी तो गलत सिद्ध हो रही है। प्रधानमंत्री मोदी पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में कहीं अधिक सीटे जीत रहे हैं। हमें ज्योतिष पर भरोसा था और हम अपनी बात पर कायम रहे कि राहुल गाँधी, टीएमसी, अखिलेश यादव, शरद पवार, चन्द्रबाबू नायडू आदि पहले की तुलना में अच्छा प्रदर्शन करेंगे और प्रधानमंत्री मोदी को पूर्ण बहुमत प्राप्त नहीं होगा। चार जून को यही हुआ। भाजपा बहुमत का आँकडा नहीं छू पाई और उसे सरकार बनाने के लिए एनडीए के सहयोगी दलों पर आश्रित रहना पड़ेगा। यदि हम अपनी व्यक्तिगत विचारधारा को छोडकर तथा राजनीतिक दलों और मीडिया के प्रभाव में न आकर केवल ज्योतिषीय सिद्धान्तों के आधार पर ही भविष्यवाणी करें, तो अवश्य ही उसका सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेगा। जहाँ तक आगे की घटनाओं का प्रश्न है, तो वर्तमान परिस्थितियों में दोनों गठबन्धनों के प्रधानमंत्री पद के लिए नरेन्द्रमोदी और राहुल गांधी क्रमशह दावेदार माने जा रहे हैं। इन दोनों की जन्मपत्रिकाओं में चल रही वर्तमान दशाओं के आधार पर तुलना करें, तो नरेन्द्रमोदी का समय राहुल गाँधी की तुलना में राजसत्ता प्राप्ति की दृष्टि से बेहतर प्रतीत हो रहा है। उनकी सम्भावना अधिक लगती है। यहाँ केवल इन दोनों नेताओं की जन्मपत्रिका पर ही विचार किया गया है। यदि अन्य कोई दावेदार आता है, तो परिस्थितियाँ भिन्न हो सकती हैं।

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