15 नवम्बर, 2023 : भैयादूज

भैयादूज पर यमुना स्नान से मिलती है यमलोक से मुक्ति!



कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की द्वितीया को भाईदूज मनायी जाती है। इस दिन बहिन के घर पर भाई द्वारा भोजन किया जाता है और बहिन भाई के तिलक करती है। तिलक के उपरान्त भाई अपनी बहिन को यथासामर्थ्य उपहार देता है। बहिन इसके बदले अपने भाई को शुभाशीष देती है और भगवान् से उसके लिए शुभकामनाएँ माँगती है। रक्षाबन्धन के पश्चात् भाईदूज बहिन-भाई के प्रेम का विशेष पर्व है।
कथा
यम और यमुना भगवान् सूर्य की सन्तान हैं। दोनों भाई-बहिनों में अतिशय प्रेम था, परन्तु यमराज यमलोक की शासन-व्यवस्था में इतने व्यस्त रहते कि यमुनाजी के घर ही न जा पाते। एक बार यमुनाजी यम से मिलने आयीं। बहिन को आया देख यमदेव बहुत प्रसन्न हुए और बोले — बहिन! मैं तुमसे बहुत प्रसन्न हूँ, तुम मुझसे जो भी वरदान माँगना चाहो, माँग लो। यमुना ने कहा — भैया! आज के दिन जो मुझमें स्नान करे, उसे यमलोक नहीं जाना पड़े। यमराज ने कहा — बहिन! ऐसा ही होगा। उस दिन कार्तिक शुक्ल द्वितीया थी। इसलिए इस तिथि को यमुनास्नान का विशेष महत्त्व है।
कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की द्वितीया तिथि को यमुना ने अपने घर अपने भाई यम को भोजन कराया और यमलोक में बड़ा उत्सव हुआ। इसलिए इस तिथि का नाम ‘यमद्वितीया’ है, अतः इस दिन भाई को अपने घर भोजन नहीं करके बहन के घर जाकर प्रेमपूर्वक उसके हाथ का बना हुआ भोजन करना चाहिए। इससे बल और पुष्टि की वृद्धि होती है। इसके बदले बहिन को स्वर्णालंकार, वस्त्र तथा द्रव्य आदि से संतुष्ट करना चाहिए। यदि अपनी सगी बहिन नहीं हो, तो पिता के भाई की कन्या, मामा की पुत्री, मौसी अथवा बुआ की बेटी ये भी बहिन के समान हैं। इनके हाथ का बना भोजन करें। जो पुरुष यमद्वितीया को बहिन के हाथ का भोजन करता है, उसे धन, यश, आयुष्य, धर्म, अर्थ और अपरिमित सुख की प्राप्ति होती है।
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