यमपूजा से समाप्त होता है अकालमृत्यु का भय!
कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की द्वितीया को यमद्वितीया के रूप में मनाया जाता है। इस दिन यमुना स्नान एवं यम पूजन किया जाता है। यमुना पूजन में निम्नलिखित मन्त्र से प्रार्थना करें :
यमस्वसर्नमस्तेऽस्तु यमुने लोकपूजिते।
वरदा भव मे नित्यं सूर्यपुत्रि नमोऽस्तु ते।।
यमराज की पूजा के दौरान निम्नलिखित मन्त्र से प्रार्थना करें :
धर्मराज नमस्तुभ्यं नमस्ते यमुनाग्रज।
पाहि मां किंकरैः सार्धं सूर्यपुत्र नमोऽस्तु ते।।
तदुपरान्त शंख (दक्षिणावर्ती टाईगर शंख हो, तो श्रेयस्कर) अथवा ताम्रपात्र में शुद्ध जल लेकर उसमें रोली, अक्षत्, पुष्प आदि डालकर निम्नलिखित मन्त्र से यमराज को अर्घ्य देना चाहिए :
एह्येहि मार्तण्डज पाशहस्त यमान्तकालोकधरामरेश।
भ्रातृद्वितीयाकृतदेवपूजां गृहाण चार्घ्यं भगवन्नमस्ते।।
ज्ञातव्य रहे कि यमुना और यमराज दोनों भाई-बहन हैं। दोनों ही सूर्य के पुत्र हैं। यमपूजा से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है और उपासक दीर्घायु प्राप्त करता है।